देहरादून-विश्व दिव्यांग दिवस के उपलक्ष में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह पर महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन।
आज देहरादून स्थित मानसिक स्वास्थ्य क्लिनिक इंदिरापुरम कॉलोनी में पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में पहुंचे जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र देहरादून संचालक मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान के नोडल अधिकारी एवं प्रबंधक अनंत प्रकाश मेहरा ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। इस दौरान मनोवैज्ञानिक भरत कुमार ने बताया वर्तमान स्वास्थ्य की दृष्टि से हर व्यक्ति कहीं ना कहीं दैनिक जीवन में विभिन्न कार्यों के चलते अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने में सक्षम नहीं है अतः इस दृष्टि से देहरादून में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने बताया सामान्य रूप से लोगों को यह भ्रम होता है की मनोवैज्ञानिक के पास केवल मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को ही जाना चाहिए परंतु हमारा मानसिक स्वास्थ्य बना रहे इस दिशा में भी निरंतर मनोवैज्ञानिकों से मिलना नितांत आवश्यक है।
संगोष्ठी में पहुंची डॉक्टर कंचन डोभाल ने बताया मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, और सामाजिक स्वास्थ्य, जो किसी व्यक्ति के समग्र व्यवहारिक स्वास्थ्य में सहयोग देते हैं, उसे मानसिक स्वास्थ्य के रूप में भी जाना जाता है। यह आपके भावना, आचरण, और दूसरों के साथ मेल-जोल के तरीके को परिभाषित करता है। आप कितनी अच्छी तरह से तनाव को संभलते हैं यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता आपके बचपन से प्रौढ़ावस्था तक के आपके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मनोवैज्ञानिक एवं परामर्शदाता प्रियम सैनी ने बताया मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक बदलाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के मुख्य लक्षण होते हैं। ये व्यक्ति के व्यवहार को परिवर्तित कर देते हैं जिससे उन्हें अपने घर, काम, स्कूल, और व्यापक समाज में अपनी नियमित गतिविधियों को करने में कठिनाई होती है।
वही मनोवैज्ञानिक काव्या ने बताया
ऐसा ज़रूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति को अगर मानसिक विकार के साथ खराब मानसिक स्वास्थ्य की समस्या हो तो उनमें व्यवहारिक स्वास्थ्य स्थिति हमेशा मौजूद हों। इसके अलावा, दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य स्थिति होने पर व्यक्ति में व्यवहारिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या होना भी संभव है।
नेपाल से पहुंची मनोवैज्ञानिक मायूशा ने बताया मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों में एक विस्तारित विविधता होती है जो विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के परिणामस्वरूप हो सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के परिणामस्वरूप हो सकने वाले लक्षणों में मनोरंजन के लिए मादक पदार्थों और शराब का अधिक सेवन करना अकेले रहना और किसी की संगति से बचना यौन इच्छा में कमी धारणा संबंधी समस्याएँ जैसे भ्रम या हॉलुसिनेशन अत्यधिक चिंता
ऊर्जा की कमी या गुणवत्तापूर्ण नींद की कमी,सदा दुखी रहना या दूसरों से जुड़े होने की कमी भावनात्मक बुद्धिमत्ता की कमी होना, या दूसरों की भावनाओं को समझने और उनके प्रति प्रतिक्रिया करने में असमर्थता महसूस होना बहुत अधिक क्रोध या झुँझलाहट महसूस होना किसी के बाहरी दिखावे, उसके वजन या उसके आहार में अत्यधिक रुचि या चिंता होना,ध्यान केंद्रित करने, सीखने या नियमित कार्यों को करने में मुश्किल होना,मूड में तुरंत बदलाव, अवसाद से उत्साह तक कुछ ही समय में खुद को चोट पहुंचाने या आत्महत्या का विचार आना,जिन बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ होती है, उनको अपने आप को संतुलित रखने में परेशानी हो सकती है।
वही मनोवैज्ञानिक अलीशा थॉमस ने बताया मानसिक रूप से अवसाद लिए व्यक्ति के शैक्षिक प्रदर्शन में धीरे-धीरे परिवर्तन या उनके सहकर्मी समूह के भीतर सामाजिक व्यवहार में धीरे-धीरे परिवर्तन आना, जो गतिविधियाँ पहले आनंददायक लगती थी, अब उनके प्रति उत्साह की कमी होना,चिंता या तनाव इतना बढ़ जाना कि जिसके कारण सोने से डर लगता है।अक्सर आक्रामकता, अवज्ञा दिखाना,ध्यान केंद्रित करने में दिक़्क़त और स्थिर बैठने में असमर्थता अतिसक्रियता के लक्षण हो सकते हैं।
अधिकांश मानसिक बीमारियां का उपचार दवा, मानसिक चिकित्सा, या इन दोनों का संयोजन करके किया जा सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र देहरादून संचालक मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान के नोडल अधिकारी एवं प्रबंधक अनंत प्रकाश मेहरा दिव्यांग पुनर्वास विशेषज्ञ ने बताया 3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस पर सभी जगह विभिन्न आयोजन किए गए तथा दिव्यांगजनों को उनकी विभिन्न प्रतिभाओं के लिए सम्मानित भी किया गया ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है की समझ में व्याप्त दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अनुसार 21 दिव्यांगताओ पर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता कर समाज को दिव्यांगजनों की अति महत्वपूर्ण भूमिका से अवगत कराया जाए तथा समाज में दिव्यांगता की प्रति फैली नकारात्मक अवधारणा को खत्म किया जाए । आपको बता दें अनंत प्रकाश मेहरा विगत 20 वर्षों से निरंतर दिव्यांग जनों के लिए कार्य कर रहे हैं इसके चलते उन्होंने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल चंडीगढ़ से अपनी सरकारी नौकरी को भी छोड़ दिया था। उन्होंने बताया मानसिक रूप से अस्वस्थता भी व्यक्ति को दिव्यांगता की ओर ले जाती है अतः हमें मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी कार्य करना होगा। आमतौर पर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित व्यक्ति अपनी स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं। सही देखभाल के साथ, वे क्रियात्मक जीवन जी सकते हैं। कुछ लोगों के लिए मानसिक बीमारी के प्रभावों से निपटना एक सतत प्रक्रिया होती है। बहुत से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित लोग यह बताते हैं कि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है उनके लक्षण कम हो गये हैं या पूरी तरह गायब हो गये हैं। सामान्य रूप से, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रसार 18-25 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्तियों के बीच सबसे अधिक होता है और इसमें 50 वर्ष की आयु के बाद बहुत गिरावट देखी गई है। अतः इस दिशा में मुनीशाभा सेवा सदन पुनर्वास संस्थान के सानिध्य में एक मनोवैज्ञानिकों की एक टीम कार्य करेगी। सर्वप्रथम उत्तराखंड के जिला देहरादून में मानसिक स्वास्थ्य कुंभ की शुरुआत करेगी। मानसिक स्वास्थ्य कुंभ में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के छात्रों के साथ-साथ उच्च शिक्षा में अध्यनरत निर्धन छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की जाएगी जिससे छात्रों के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित उनके माता-पिता एवं शिक्षकों को महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ-साथ जन सामान्य के लिए भी संस्था निरंतर निशुल्क मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग करेगी तथा उनका समय-समय पर लाभ प्रदान करेगी। उन्होंने बताया इस संबंध में शिक्षा महानिदेशक एवं स्वास्थ्य महानिदेशक तथा समाज कल्याण निदेशक से भी मिलकर मदद मांगी जाएगी।
संगोष्ठी में मनोवैज्ञानिक डॉक्टर भरत कुमार, डॉ कंचन पंत, मानस बिष्ट, काव्या, अलीशा, मायूशा, प्रियम, डॉ सुमिता, सुप्रिती मंडल, मोनालिसा आदि मनोवैज्ञानिक उपस्थित रहे।