उत्तराखंड सरकार ने आज कैबिनेट मीटिंग में “योग नीति 2025” का अनुमोदन किया– राज्य बनेगा “योग और वेलनेस का वैश्विक राजधानी”

देहरादून,: सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा दीपेन्द्र चौधरी आई.ए.एस. ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “उत्तराखंड योग नीति 2025” को लागू करने की घोषणा की। यह देश की पहली योगनीति है।उत्तराखंड योगा नीति को मंजूरी पहाड़ी इलाकों मे योगा हब बनाने के लिए सब्सिडी भी दी जाएगी, योग ध्यान के मामलों मे भी सब्सिडी की व्यवस्था होगी। यह नीति राज्य को “योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी” के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त पहल है।

उत्तराखंड, जो भारत की आध्यात्मिक और योग परंपराओं का केंद्र रहा है, अब इस विरासत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने के लिए व्यापक योजनाएं बना रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस नीति को राज्य की समग्र स्वास्थ्य, पर्यटन और आर्थिक रणनीति का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह पहल “योग, पर्यटन और आर्थिक विकास” का संगम होगी।

नीति के प्रमुख बिंदु:

2030 तक 5 नए योग हेल्थ हब उत्तराखंड में स्थापित किए जाएंगे।

मार्च 2026 तक प्रत्येक जनपद में “योग वेलनेस सेंटर” की स्थापना और संचालन।

योग संस्थानों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा और विशेष ऑनलाइन पोर्टल विकसित होगा।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन 2028 तक 15 से 20 देशों की सहभागिता के साथ आयोजित किए जाएंगे।

शिक्षक प्रशिक्षण एवं प्रमाणन के लिए हर साल 500 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे।


प्रोत्साहन और सुविधाएँ:

योग ध्यान केंद्रों को 50% तक वित्तीय सहायता (अधिकतम ₹20 लाख तक)।

अनुसंधान हेतु ₹10 लाख तक अनुदान।

मौजूदा संस्थानों को सहायता।

योग प्रशिक्षक प्रमाणन प्रणाली की स्थापना।


बजट एवं संस्थागत ढांचा:

अगले 5 वर्षों में ₹35करोड़ का व्यय प्रस्तावित। योग केंद्र के लिए 25करोड़, योग अनुसंधान एक करोड़, शिक्षक प्रमाणन के लिए 1.81करोड़, मौजूदा संस्थानों में योग पाठ्यक्रम संचालन के लिए 7.5 करोड़ वह का आकलन किया गया है

योग निदेशालय की स्थापना के साथ नीति के संचालन, निगरानी एवं मूल्यांकन की जिम्मेदारी होगी।

एक उच्च स्तरीय राज्य समिति का गठन नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु किया जाएगा।


संभावित प्रभाव:

13,000 से अधिक रोजगार अवसर उत्पन्न होंगे।

2500 से अधिक योग प्रमाणनधारी प्रशिक्षक राज्य में होंगे।

10,000 से अधिक संस्थानों में योग आधारित गतिविधियों का विस्तार।


सचिव आयुष ने कहा, “यह नीति केवल पर्यटन और अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि यह राज्य की पहचान और स्वास्थ्य संस्कृति को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का माध्यम बनेगी।”

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