उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार, नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर पर एक दिवसीय तकनीकी कार्यशाला का सफल आयोजन

डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत चिकित्सा सेवाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम, विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में होगा सॉफ्टवेयर का क्रियान्वयन

हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार में दिनांक 29 अप्रैल 2025 को “नेक्स्ट जेन ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर” के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक दिवसीय तकनीकी कार्यशाला का आयोजन ऋषिकुल परिसर के सुश्रुत भवन में किया गया। यह कार्यशाला राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एन.आई.सी.), भारत सरकार एवं एन.आई.सी उत्तराखंड के तकनीकी सहयोग से आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय की चिकित्सा सेवाओं को पूर्णतः डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना था।

कार्यशाला का उद्घाटन उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति महोदय ने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के “डिजिटल इंडिया अभियान” को आयुष क्षेत्र में साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयुर्वेद क्षेत्र में भी नवाचार अत्यंत आवश्यक है एवं वर्तमान युग की आवश्यकता अनुरूप विश्वविद्यालय भी आईटी को आयुर्वेद के साथ इंटीग्रेटेड करके अपनी चिकित्सा सेवाओं को और बेहतर करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन कुछ समय पहले ही किया जा चुका है, और शीघ्र ही ऋषिकुल एवं गुरुकुल परिसरों में भी इस सॉफ्टवेयर को लागू किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण एवं प्रशिक्षित आईटी मैनपॉवर की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।

कार्यशाला में एन.आई.सी. उत्तराखंड के वरिष्ठ निदेशक (आई.टी.) श्री नरेंद्र सिंह नेगी ने एन.आई.सी. की विभिन्न तकनीकी परियोजनाओं एवं सेवाओं का समग्र परिचय दिया। उपनिदेशक (आई.टी.) श्री अनुज धनगर ने ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली, उपयोगिता एवं इससे होने वाले लाभों पर विस्तृत प्रकाश डाला। एन.आई.सी. मुख्यालय, नई दिल्ली से पधारे संयुक्त निदेशक (आई.टी.) श्री राजेश सक्सेना ने सॉफ्टवेयर के विभिन्न तकनीकी मॉड्यूल्स को गहराई से समझाते हुए उनके समन्वित प्रभाव पर विचार साझा किए।

प्रशिक्षण सत्र की व्यावहारिक प्रस्तुति में श्री विक्रम चौधरी ने ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर के कुल 16 मॉड्यूल्स — जैसे पेशेंट रजिस्ट्रेशन, डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन, मेडिसिन डिस्पेंसिंग, ओपीडी, आईपीडी, पैथोलॉजी, इन्वेंटरी आदि — का लाइव डेमो प्रस्तुत कर प्रतिभागियों को तकनीकी कार्यप्रणाली से अवगत कराया।एवं श्री यशपाल सिंह (डी.आई.ओ., एन.आई.सी.) ने ई हॉस्पिटल परियोजना व्यवहारिक इंप्लीमेंटेशन के लिए पुणे टेक्निकल सपोर्ट तथा आवश्यक सहयोग करने का आश्वासन दिया।

इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों (मुख्य परिसर, ऋषिकुल, गुरुकुल) से पधारे चिकित्सकों, शिक्षकों, फार्मासिस्टों एवं तकनीकी स्टाफ ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सॉफ्टवेयर से जुड़ी तकनीकी शंकाओं का समाधान पाया। प्रतिभागियों ने इस डिजिटल परिवर्तन को विश्वविद्यालय के लिए आवश्यक और लाभकारी बताया।

कार्यशाला के समापन अवसर पर ऋषिकुल परिसर निदेशक प्रोफेसर डी.सी. सिंह ने सभी विशेषज्ञों, तकनीकी अधिकारियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि जल्द ही परिसर में ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटल चिकित्सकीय सेवाओं की शुरुआत कर दी जाएगी। उन्होंने इसे स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता, गति एवं दक्षता में सुधार लाने वाला निर्णायक कदम बताया।

कार्यशाला का सफल संचालन डॉ. ज्ञानेंद्र शुक्ला द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारीगण — डीन प्रो. पंकज शर्मा, मुख्य परिसर निदेशक प्रो. के.के. शर्मा, डीन रिसर्च प्रो. अजय गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक प्रो. ओ.पी. सिंह, नोडल अधिकारी ई-हॉस्पिटल डॉ. नंदकिशोर दाधीचि सहित विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों से ई हॉस्पिटल इंप्लीमेंटेशन से संबंधित वरिष्ठ संकाय सदस्य, चिकित्सक, फार्मासिस्ट एवं कार्मिक उपस्थित रहे।

डॉ. राजीव कुरेले, मीडिया प्रभारी ने जानकारी दी कि ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर के माध्यम से आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाते हुए एक केंद्रीय डाटा बेस तैयार किया जाएगा, जिससे न केवल मरीजों की चिकित्सा सुविधा में पारदर्शिता एवं शीघ्रता आएगी, ईज ऑफ़ डूइंग बढ़ेगी, बल्कि शोध एवं विश्लेषण के क्षेत्र में भी यह सॉफ्टवेयर सहायक सिद्ध होगा।

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