वाराणसी में गंगा घाटों के पास विवादित पोस्टर लगाए जाने के बाद अब वीएचपी और बजरंग दल ने इनसे दूरी बना ली है। जबकि इन पोस्टरों पर ‘विश्व हिंदू परिषद’ और बजरंग दल काशी की मोहर भी लगी हुई थी। इसमें लिखा हुआ था, ‘प्रवेश प्रतिबंधित-गैर हिंदू’। अब दोनों ही संगठनों का कहना है कि इस तरह के विवादों से उनका कोई लेना देना नहीं है।
वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा इस मामले में जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा उसपर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि वीडियो में दिखायी दे रहे दो लोगों की भी पहचान करने की कोशिश की जा रही है। उनपर भी ऐक्शन लिया जाएगा। पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। वाराणसी के ASP राजेश कुमार पांडेय ने कहा, ‘हम उन लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं जिन लोगों ने ऐसे पोस्टर लगाए हैं।’
उन्होंने कहा कि सभी पोस्टर हटा दिए गए हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इन पोस्टरों पर वीएचपी और बजरंग दल के निशान बने हुए थे। इसमें कहा गया था, ‘काशी के मंदिर भारती संस्कृति को दर्शाते हैं औऱ जो लोग सनातन धर्म को नहीं मानते उनको घाटों पर आने से प्रतिबंधित किया जाता है।’
उसी दिन दो लोगों ने वीडियो भी जारी किया था। सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए दावा किया गया था कि वे लोग बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से हैं। वीडियो में राजन गुप्ता नाम के शख्स ने कहा था कि वह वीएचपी का काशी महानगर मंत्री है। उसने कहा था, ‘गंगा घाट और मंदिर सनातन धर्म के परिचायक हैं। वे आस्था का केंद्र हैं। ये कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हैं। अगर कोई सनातन धर्म में आस्था रखता है तो उसका स्वागत है। अगर नहीं रखता है तो उसे यहां से दूर ही रहना चाहिए।’
वहीं निखिल त्रिपाठी रूद्र नाम के शख्स ने दावा किया था कि वह काशी बजरंग दल का संघयोजक है। उसने भी ऐसा ही बयान दिया था और कहा था कि मां गंगा के घाट को पिकनिक स्पॉट न बनाया जाए। अगर गलत लोग यहां पर आएंगे तो बजरंग दल उन्हें भगा देगा।