देवभूमि यानी देवों की भूमि, उत्तराखंड में बहुत से मंदिर, देवस्थान जो अपने रोचक रहस्यों, अद्भुत परम्पराओं एवं चमत्कारों के कारण पूरी दुनिया में सुप्रसिद्ध है। वही आज हम आपको देवभूमि उत्तराखंड में स्थित एक ऐसे ही मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं जहां मन्नत पूरी होने पर धनुष और बाण चढाए जातें हैं।

मंदिर में भारी संख्या में चढ़ाए गए धनुष और…
आपको ये जानकर थोड़ा अजीब सा लगा होगा …लेकिन यह सत्य है। हम बात कर रहे है कुमाऊं मंडल के चम्पावत में स्थित ब्यानधुरा बाबा के प्रसिद्ध धाम की। जो अपने चमत्कारों के कारण पूरे कुमाऊं मंडल में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। मंदिर में मन्नत पूरी होने के बाद भारी संख्या में चढ़ाए गए धनुष और बाण इस ‌बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जैसा कि नाम से ही विदित है ब्यान का अर्थ है बाण और धुरा का अर्थ ऊची चोटी से है।‌ इस प्रकार ब्यानधुरा का शाब्दिक अर्थ है बाणों की चोटी। सबसे खास बात तो यह है कि जिस चोटी पर यह मंदिर स्थित है उसका आकार भी एक धनुष के समान ही है।

इस मंदिर में विराजमान देवता को…
वैसे तो उत्तराखंड सहित भारतवर्ष के अधिकतर मंदिरों में मनोकामना पूर्ण होने पर छत्र, ध्वजा, पताका, श्रीफल, घंटी आदि चढ़ाए जाने की मान्यता है लेकिन ‌चम्पावत एवं नैनीताल जिले की सीमा पर स्थित ब्यानधुरा बाबा के मंदिर में मन्नत पूरी होने पर धनुष बाण चढ़ाने और पूजे जाने की परम्परा और मान्यता है। चम्पावत, नैनीताल व उधमसिंह नगर जनपदों की सीमा से लगे सेनापानी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित ब्यानधुरा मंदिर सड़क से 35 किमी दूर एक ऊंची चोटी पर है। इस मंदिर में विराजमान देवता को ऐड़ी देवता कहा जाता है।

देवताओं की विधानसभा…
वैसे तो पूरे कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर ऐड़ी देवता के मंदिर स्थित है परन्तु ब्यानधुरा स्थित इस ऐड़ी देवता के मंदिर की पौराणिक मान्यता उनमें से सबसे अधिक है, इसी कारण समूचे कुमाऊं में इसे ‘देवताओं की विधानसभा’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में अनेक बार चमत्कार होते रहते हैं। इस मंदिर में ऐड़ी देवता को जहां लोहे के धनुष-बाण तो चढ़ाये जाते ही हैं , वहीं अन्य देवताओं को अस्त्र-शस्त्र चढ़ाने की परम्परा भी है। इस मंदिर की पौराणिकता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि मंदिर को शिव के 18 ज्योर्तिलिंगों में से एक की मान्यता प्राप्त है।

कठिन तप के बल से राजा ने…
लोकमान्यताओं के अनुसार राजा ऐड़ी ने ब्यानधुरा में तपस्या की थी और अपने कठिन तपोबल से राजा ने देवत्व को प्राप्त कर लिया था। उस समय के राजा ऐड़ी धनुष युद्ध विद्या में बहुत ही निपुण थे। ऐड़ी देवता का एक रुप महाभारत के अर्जुन के अवतार के रूप में भी माना जाता हैं और कहा जाता है कि महाभारत काल से ही ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे इस क्षेत्र को अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने अपना निवासस्थल बनाया था और उस दौरान अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष भी इसी स्थान पर किसी एक चोटी के पत्थर के निचे छिपाया था।