उत्तराखंड का एक जंगल किसी रहस्य से कम नहीं है। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन ये सत्य है कि बीते 6 सालों में इस जंगल से 42 लाशें बरामद की गई हैं। अचरज की बात है कि अपराधियों के लिए यह जंगल कब्रगाह के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। हत्या भले ही कहीं और की जाती हो, मगर लाश को ठिकाने के लिए इसी जंगल में फेंक दिया जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एक ऐसे खतरनाक जंगल की जो लाशों का घर बन चुका है।

अब तक उस खतरनाक जंगल में कई लाशों को ठिकाने लगाया गया है। यह जंगल ऊधमसिंह नगर के खटीमा में स्थित है। उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश दो राज्यों की सीमा में आने वाला यह जंगल क्षेत्र अपराधियों के लिए लाश को दफनाने का ठिकाना बन चुका है। बीते 6 सालों में इस जंगल के अंदर 42 लाशें एक के बाद एक ठिकाने लगाई गई हैं। आलम यह है कि यहां के जंगल लावारिस लाशों का कब्रिस्तान बन चुके हैं। 42 में से 35 लाशों हालत इतनी खराब थी कि पुलिस उनको पहचान भी नहीं पाई है

इस जंगल के अंदर आखिर ऐसा क्या है कि पिछले 6 सालों में जंगल के अंदर से 42 लाशें मिली हैं। इसका कारण कोई नहीं जानता, लेकिन इस जंगल के अंदर कई रहस्य हैं। खटीमा के सुरई रेंज में स्थित यह जंगल बेहद घना और उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है। यह जंगल इतना घना है कि अगर कोई आरोपी रात के अंधेरे में यहां हत्या क्र लाश दफ़न करता है , तो वह बाद में आसानी से बच सकता है।

अन्य पुलिस स्टेशनों में हत्या को अंजाम देने के बाद, आरोपी ने आदमी को खटीमा के घने जंगल में फेंक दिया जाता है और साथ ही अपनी पहचान छिपाने के लिए शरीर को बुरी तरह से विकृत कर दिया जाता है । अफसोश यहां मिली लाशों के हत्यारों का कभी पता नहीं चलता है, जिसकी वजह से मृतकों को पूरा न्याय नहीं मिल पाता। इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है। आरोपी को मारने के बाद, लाश की पहचान छिपाने के लिए, यह उसे गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है, जिससे लाश की पहचान हो जाती है।

लावारिस लाशों वाले केस में अमूमन तहकीकात करने पर पता चलता है कि वारदात तो कहीं दूसरी जगह पर हुई है और लाश को ठिकाने लगाने के लिए इस जंगल में लाया गया है। अगर लाश की शिनाख्त हो भी जाती है तो भी उसकी जगह बदली हुई होती है इतना सब कुछ होने के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट किसी दूसरे थाने में दर्ज होती है और इसका परिणाम यह होता है कि कानूनी जटिलताओं के कारण केस पूरी तरह सॉल्व हो ही नहीं पाता और खुद में ही कमजोर हो जाता है जिसके बाद लावारिस लाश को पूरा न्याय नहीं मिल पाता।

बता दे किस जंगल में अब तक 35 लाशों की शिनाख्त हो ही नहीं पाई है। 2014 में इस खटीमा के सुरई जंगल के अंदर कुल 11 लाशों को अपराधियों द्वारा ठिकाने लगाया गया था। वहीं 2013 में 8 लाशें इस जंगल के अंदर पुलिस को मिली थीं। 2015 में 9, 2016 में 5, 2017 में 6, 2018 में 6, 2019 में 3 और 2020 में कुल 1 लाश इस जंगल के अंदर मिली है।

INPUT: RAJYASAMEEKSHA